ये महज एक रात नही

ये महज एक रात नही...



रात के करीब 12.17 बज चुके,पर नींद का ख्याल अभी तक न आया, बहुत लम्बा अरसा हो चुका, कुछ ऐसा लिख न पाया जिससे सन्तुष्टि मिले, शांति मिले, सुकूँ का अहसास हो। आज युहीं  बैठे-बैठे ख्याल आया कि कुछ दर्ज किया जाए। जिसे मैं कभी ,सायद कभी 15-20 साल बाद पढू या कोई और पढ़े, तो अच्छा महसूस हो, जैसा मुझे आज ,अब हुआ,अपने फ़ोन की गैलरी में फ़ोटो देखते हुए, जब मेरे सामने कभी ली हुई, मेरे पुराने स्कूल 8वी क्लास के दरवाजे की फ़ोटो,जिसे देखकर मुझे मेरे वो दिन याद आ गए, हालांकि मेरा इतना पुराना इतिहास नही,क्योंकि महज एक बच्चे की ही तो बात है। आज कुछ लिखने का मन मे विचार आया,पर इस भौतिकवाद दुनिया मे लोगो की भीड़ में दौड़ते हुए, कुछ खास मुकाम हासिल न कर पाने का डर, और बहुत कुछ जो लोगो को इस भीड़ में शामिल कर देता है,ऐसे विचारो ने ये मेरे लिखने के विचार को करारा कर दिया, फिका कर दिया, और इस सोच में ये तमाम रात भी गुज़ारी जाएगी।

Related Article 

नई-नवेली दुल्हन

0 Comments

Learn to look inside yourself

No recourse has been taken in any of the content on this website, it is the author's own ideas.